इसरो ने विश्व रिकॉर्ड बनाया, एक साथ 104 सैटेलाइट का सफल लॉन्च:
पीएसएलवी-सी37 लॉन्च |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने एकसाथ 104 सेटेलाइट को अंतरिक्ष में प्रवेश
कराकर एक नया कीर्तिमान बनाया। बुधवार सुबह 9 बजकर 28
मिनट पर श्रीहरिकोटा के सतीश
धवन लॉन्चिंग सेंटर से पीएसएलवी-सी37 लॉन्च किया गया । पीएसएलवी-सी37
की
यह 39वी उड़ान थी । 10 बजकर 2 मिनट पर इसरो की ओर से इस मिशन के कामयाब होने
का ऐलान किया गया । यह पहला मौका है जब किसी
देश ने एक साथ 104
उपग्रह अंतरिक्ष में
छोड़े गए। अभी तक यह रिकार्ड
रूस के नाम था जो 2014 में 37 सैटेलाइट एक साथ भेजने में कामयाब रहा है था ।
इस मिशन में मुख्य उपग्रह काटोर्सैट-2 सीरीज उपग्रह है
जिसका कुल वजन 714 किग्रा। इसरो
के दो और 101 विदेशी
नैनो उपग्रहों का भी प्रक्षेपण किया गया जिनका कुल वजन 664 किग्रा
है। इन सभी उपग्रहों का कुल वजन लगभग 1,378 किलोग्राम है। विदेशी उपग्रहों में 96 अमेरिका के तथा इजरायल, कजाखिस्तान, स्विटजरलैंड,नीदरलैंड और संयुक्त अरब अमीरात के एक-एक हैं।
धरती की निगरानी के लिए कार्टोसेट-2 सीरीज का उपग्रह इसके अलावा दो नैनो सैटेलाइट आईएनएस-1ए और
आईएनएस-1बी को भी कक्षा में स्थापित किया। 27 हजार किमी प्रति घंटे की रफ्तार महज
600 सेकेंड के भीतर सभी सैटेलाइट लॉन्च किए गए। पीएसएलवी-37 का वजन 320 टन और ऊंचाई 44.4
मीटर है।
इस मिसन में पीएसएलवी ने पहले 714 किलोग्राम वजनी
काटरेसेट-2 श्रृंखला के उपग्रह का पृथ्वी पर निगरानी के
लिए प्रक्षेपण किया और उसके बाद 103 सहयोगी उपग्रहों को पृथ्वी से करीब 520
किलोमीटर
दूर ध्रुवीय सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में प्रविष्ट करवाया। इसरो के वैज्ञानिकों ने एक्सएल वैरियंट
का इस्तेमाल किया है जो
सबसे शक्तिशाली रॉकेट है। अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों की
नैनो-सेटेलाइटों का प्रक्षेपण इसरो की व्यावसायिक शाखा एंट्रिक्स कॉपरेरेशन
लिमिटेड की व्यवस्था के तहत किया जा रहा है।
पीएसएलवी-सी37 |
ISRO की बड़ी उपलब्धियां:
पिछले कुछ वर्षो में इसरो ने राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कामयाबी दर्ज की है। एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था। 1975 में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा गया। इस उपग्रह को कास्पुतिन यान से प्रक्षेपित किया गया था। इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में ही हुआ था. इसरो के मार्स मिशन को सबसे सस्ता बताया जाता है। इस अभियानपर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए।
पिछले कुछ वर्षो में इसरो ने राष्ट्रीय- अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काफी कामयाबी दर्ज की है। एसएलवी-3 भारत का पहला स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च वेहिकल था। 1975 में देश का पहला उपग्रह आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा गया। इस उपग्रह को कास्पुतिन यान से प्रक्षेपित किया गया था। इस उपग्रह का निर्माण पूरी तरह से भारत में ही हुआ था. इसरो के मार्स मिशन को सबसे सस्ता बताया जाता है। इस अभियानपर करीब 450 करोड़ रुपये खर्च हुए।
ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान(pslv):
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान(इसरो) ने 1990 में ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (pslv )को विकसित किया
था। 1993 में pslv
से पहला उपग्रह
ऑर्बिट में भेजा गया। 2008 में इसरो ने चंद्रयान बनाकर इतिहास रच दिया था। 22 अक्टूबर 2008 को पूरी तरह से देश में निर्मित इस मानव
रहित अंतरिक्ष यान को चांद पर भेजा गया था।
मंगलयान:
भारत के मंगलयान ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान( इसरो) को दुनिया
के नक्शे पर चमका दिया। मंगल तक पहुंचने में पहले प्रयास में सफल रहने वाला भारत दुनिया
का पहला देश बना. जिसके बाद भारत की चर्चा अंतराष्ट्रीय स्तर पर होने लगी।
खुद का नेविगेशन सिस्टम:
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