World Environment Day 2017

विश्व पर्यावरण दिवस

World Environment Day

कल विश्व पर्यावरण दिवस था। समूचे विश्व में बड़े-बड़े कार्यक्रम हुए और उनमें पर्यावरण की रक्षा हेतु बड़ी-बड़ी बातें हुई । यही नहीं इस सम्बंध में बड़ी-बड़ी घोषणाएँ और दावे किए गए ।

विचारणीय यह है कि क्या इसके बाद कुछ कारगर कदम उठाये जाने की उम्मीद की जा सकती है। हालात तो इसकी गवाही देते नहीं हैं। पिछला इतिहास इसका जीता-जागता सबूत है।

पर्यावरण असंतुलन में मौसम में आए भीषण बदलाव और तापमान में बढ़ोतरी की अहम भूमिका है। मौसम में एक डिग्री सेल्सियस तक गर्मी या ठंडा होना सामान्य सी बात है लेकिन जब पूरी धरती के औसत तापमान की बात हो तो इसमें मामूली सी बढ़ोतरी के गंभीर नतीजे सामने आयेंगे। नासा की मानें तो धरती का औसत तापमान 0.8 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ चुका है। अब भी संभल जायें अन्यथा यदि धरती एक डिग्री गर्म हुई तो हालात और विषम होंगे। नतीजतन लोग पीने के पानी के लिये तरस जायेंगे।

ग्लोबल वार्मिंग के मामले में पहले से ही इस बात की आशंका थी कि यदि तापमान में बढ़ोतरी की यही रफ्तार रही तो आने वाले 50-100 सालों में धरती का तापमान इतना बढ़ जायेगा कि इसका सामना कर पाना असंभव होगा।

बढ़ती आबादी ने फ्लैट संस्कृति को बढ़ावा दिया। नतीजतन जहाँ खेती योग्य जमीन थी वहाँ पर अब बहुमंजिला मीनारें नजर आती हैं। राजमार्गों के किनारे आज से 30-40 साल पहले जहाँ खेतों में हरियाली और सड़क किनारे छायादार पेड़ों की श्रृंखला नजर आती थी, वहाँ अब सन्नाटा या गगनचुम्बी इमारतें या कल-कारखानों की चिमनियों से निकलने वाला धुआँ ही धुआँ नजर आता है।

इसमें दोराय नहीं कि इस सबके लिये प्राकृतिक कारणों के साथ-साथ भौतिक संसाधनों की अंधी दौड़ और हमारी जीवन शैली भी कम दोषी नहीं है। जीवन को आरामदायक बनाने वाले घरेलू उपकरणों के अत्यधिक इस्तेमाल से भी धरती तेजी से गरम हो रही है। 
यह सभी जानते हैं कि एयरकंडीशन और रेफ्रिजरेटर्स पर्यावरण के लिये घातक है इससे निकलने वाली गर्मी ग्रीनहाउस गैसों के प्रभाव को दिन-ब-दिन और बढ़ा रही है। यह कटु सत्य है कि इन दोनों को जिस तापमान में ठंडा किया जाता है, उतनी ही गर्मी यह बाहर भी भेजते हैं। 

आबादी में बढ़ोतरी के चलते रेफ्रिजरेटर्स और एयरकंडीशन की मांग में बेतहाशा बढ़ोतरी चिंतनीय है। अब तो कारों में एसी और घरों में फ्रिज आम बात है। ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन पर्यावरण असंतुलन का कारण बन रहा है।

धरती को बचाने के लिये हरियाली बेहद जरूरी है जिसके लिये पेड़ों का होना जरूरी है लेकिन विडम्बना देखिए कि टॉयलेट पेपर बनाने की खातिर रोजाना तकरीबन 27000 पेड़ काटे जा रहे हैं।

  



अंधाधुंध जंगलों का कटान, जोहड़ और तालाबों का खत्म होना शहरों की तो बात छोड़ दीजिए जनाब, गाँवों तक से तालाबों का नामोनिशान मिट गया है, घरों के आंगन में पहले पेड़ होते थे, अब पेड़ की तो बात करना ही बेमानी है, आंगन में क्यारी ही खत्म हो गई। वह तो अब बीते जमाने की बात लगती है क्योंकि अब घरों के आंगन ही खत्म कर दिये गए।

हमें अपनी जीवनशैली बदलनी होगी। प्रकृति से जुड़ाव जो हमारे संस्कारों में शामिल था और जिससे हम दूर हो गए हैं हमे उसकी और लौटना होगा /  हमें हरियाली को अपने तरीके से वापस लाना होगा और वृक्षारोपण का यह काम दिखावे के लिये आंकड़ों में नहीं, असलियत में करना होगा। 

सबसे बड़ी बात कि इसमें हर इंसान को अपनी भागीदारी सुनिश्चित करनी होगी। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पर्यावरण को बेहतर बनाने की राह आसान नहीं है पर स्वच्छ पर्यावरण के बिना जीवन असंभव है।

निवारण के उपाय
पर्यावरण प्रदूषणों, संकटों से बचने के लिए निम्न स्तरों पर विभिन्न प्रयास किए जाने चाहिए-

1.
व्यक्तिगत प्रयास --
ये प्रयास हर व्यक्तियों द्वारा किए जाने चाहिए।

1.
हर व्यक्ति कम-से-कम 10 पेड़ लगाए।
2.
व्यक्तिगत स्तर पर पानी की बचत करें।
3.
एयरकंडीशनर से 25 डिग्री C से नीचे ताप लाने से बचे।
4.
सामान्य बल्बों की जगह सी.एफ.एल.  एल इ डी बल्ब का प्रयोग करें।
5.
मोटर वाहनों के बदले साइकिल व सामूहिक वाहन बस ट्रेन आदि का प्रयोग बढ़ाएं।
6.
पर्यावरण का संरक्षण करें। न प्रदूषित करें, न किसी को प्रदूषित करने दें।

सामुदायिक प्रयास --

1.
ग्रामों, शहरों की विभिन्न कॉलोनियों, वार्डों में रहने वाले लोग सामूहिक रूप से वृक्षारोपण करें।
2.
अपशिष्ट उपचार की वैज्ञानिक विधि अपनाएं।
3.
पेड़ों को कटने से बचाएं।
4.
पर्यावरण जागरुकता फैलाएं।
5.
पर्यावरण संबंधी बैठक, प्रतियोगिता, सम्मेलन आदि करते रहें। बच्चों को भी प्रोत्साहित और पुरस्कृत करें।
6.
प्लास्टिक व पॉलीथिन का विवेकपूर्ण प्रयोग करें, पुनः चक्रित Recycle करें,
Reuse करें, Refuse नहीं।
7.
भूगर्भ जल का स्तर सुधारने, वर्षा जल संग्रहण (Rain Water Harvesting), छत जल संग्रहण (Roof Water Harvesting), वृक्षारोपण, तालाब निर्माण, तालाब संरक्षण को अपनाएं व सघन रूप से प्रचारित-प्रसारित करें।
8.
जैविक खाद का प्रयोग करें, जहरीले कीटनाशकों के बदले जैविक हरित तकनीक प्रयोग करें।
9.
ऊर्जा का विवेकपूर्ण प्रयोग करें।
10. सौर्य ऊर्जा से चलित उपकरणों का उपयोग करे.


यदि जीवन बचाना है तो पर्यावरण की रक्षा करनी ही होगी। इसके सिवाय कोई चारा नहीं।

समस्या हमने खड़ी की है तो समाधान भी हम सभी को मिलकर निकालना होगा।


पृथ्वी हमारी सुंदर ग्रह, गृह उपवन-उद्यान है,
इसकी रक्षा करने में हम सबका कल्याण है।
पृथ्वी नहीं रही तो हम ही कहां रहेंगे,
चेतनाहीनता मौत है जागरण ही उत्थान है।।


Make the planet green again. 

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